विशेषण :- विस्तृत जानकारी
विशेषण: विशेषण का शाब्दिक अर्थ है "विशेषता बताने वाला"|
परिभाषा :-
संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं|
विशेषण के प्रयोग से व्यक्ति , वस्तु का यथार्थ
स्वरूप तो प्रकट होता ही है साथ ही साथ भाषा की प्रभावशीलता भी बढाती है|
विशेष्य:- विशेषण शब्द जिस शब्द की विशेषता बताते हैं,
उन शब्दों (संज्ञा/सर्वनाम) को विशेष्य कहते हैं|
जैसे:-
नीला आकाश, बड़ी लड़की, मीठा आम, भला
आदमी में क्रमश: नीला, बड़ी, मीठा, भला आदि शब्द विशेषण है, और क्रमश: आकाश, लड़की ,
आम और आदमी विशेष्य हैं|
“गुणवाचक
विशेषण की अवस्था”
हिंदी
में गुणवाचक विशेषण की 03 अवस्थाएँ होती हैं:-
1. मूलावस्था ( Positive
Degree)
2. मध्यमावस्था/उतरावस्था ( Comparative Degree)
3. उत्तमावस्था ( Superlative
Degree)
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1. मूलावस्था (
Positive Degree)
जहाँ किसी संज्ञा या सर्वनाम की सामान्य रूप से
विशेषता बताई जाएँ , तो वहां विशेषण की मूलावस्था मानी जाती है| मूलावस्था में
विशेषता एकवचन और बहुवचन दोनों की बताई जाती है|
जैसे:- लडकी सुंदर है| लड़कियां
सुंदर हैं|
बालक चतुर है| लड़के मूर्ख हैं|
2. मध्यमावस्था/उतरावस्था ( Comparative Degree)
जहाँ दो वस्तुओं (संज्ञा/सर्वनाम) में से किसी
एक को अच्छा/बुरा/श्रेष्ठ बतलाया जाता है अर्थात दोनों में तुलना की जताई है , तो
वहां विशेषण की मध्य्मावस्था होती है| उसे उत्तरावस्था के नाम से भी जाना जाता है|
जैसे:- सीता, राधा से अच्छा गाती है|
सोहन, मोहन से अधिक चतुर है|
राम, राजेश की अपेक्षा चतुर है|
नियम:- 1. विशेषण की उतरावस्था को
प्रदर्शित करने के लिए विशेषण शब्द के अंत में “तर” जोड़ दिया जाता है|
जैसे:- राधा सुन्दरतर है| रितिका श्रेष्ठतर है|
नियम:-2. विशेषण की मध्यमावस्था में कभी
कभार विशेषण से पहले किसी शब्द में “कर”
प्रत्यय भी जोड़ा जाता है|
जैसे:-
सोहन पढाई में राजू से बढ़कर होशियार है|
नियम :3. विशेषण की मध्यमावस्था को प्रदर्शित करने
के लिए अपेक्षा,अपेक्षाकृत,से अधिक, से कहीं, से बढ़कर, की तुलना मने, आदि शब्दों
का प्रयोग किया जाता है|
जैसे:-
मनीष सुरेश की तुलना में/ अपेक्षा/अपेक्षाकृत समझदार है|
3. उत्तमावस्था (
Superlative Degree)
जहाँ बहुतों में से ( समूह में से) किसी एक को
सर्वश्रेष्ठ अच्छा/बुरा बताया जाता है तो वहां विशेषण की उत्तमावस्था (
Superlative Degree)
होती है|
जैसे:-
कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है|
छात्रों में मदन होशियार है|
घर में निशा सबसे सुन्दर है|
नियम:1.
विशेषण की उतामवस्था में विशेषण शब्द के अंत में कभी कभार “तम/ तमा” जोड़ दिया जाता
है| जैसे:-
मेरा
प्रियतम खेल क्रिकेट है| राजू
का प्रियतम विषय गणित है|
नियम:
2 उत्तमावस्था में विशेषण शब्द से पहले प्राय:
सबसे/सर्वाधिक/सभी में/ सर्वोतम/ सर्वश्रेष्ठ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है|
जैसे:-
भव्या सबसे तेज है|
भाविनी
सर्वाधिक प्रतिभाशाली छात्रा है|
■ विशेषण के भेद
विशेषण के मुख्य रूप से 05 भेद हैं :
(१) गुणवाचक/ गुणात्मक/गुणबोधक विशेषण (Quality
Adjective)
(२) संख्या वाचक विशेषण (Numeral Adjective)
(३) परिमाण वाचक विशेषण (Quantity Adjective)
(४) संकेतवाचक / सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjectives)
(५) व्यक्तिवाचक विशेषण (Proper
Adjective)
■ गुणात्मक विशेषण (Quality Adjective)
ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम के गुण,दोष,रूप,रंग,आकार,स्वभाव,
दशा और धर्म आदि का बोध कराते हैं उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं ।
जैसे : अच्छा
आदमी , पुराना
कमीज, कला कुत्ता, सफ़ेद
कोट आदि |
उदाहरण:-
गुण:- ईमानदार,
साहसी,धैर्यवान, भला,उचित,अच्छा, चतुर, वीर,
दोष:- बेईमान
, डरपोक, कायर, अनुचित, बुरा, मूर्ख,
रूप:- काला
,गोरा नीला, पीला
आकार :-
मोटा, पतला, ऊँचा, नीचा, लम्बा , चौड़ा,
दुबला,
दशा:-
अमीर, गरीब,
काल :- नया, पुराना
।
अवस्था:- रोगी,बच्चा,जवान,बूढ़ा, ताजा, स्वस्थ,
अधेड़, कोढ़ी
(नोट:- गुणवाचक विशेषणों में “सा” जोडकर गुणों में कमी को प्रदर्शित
किया जाता है| जैसे:- पीला सा अच्छा सा, बड़ा सा, मीठा सा )
■ संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की
निश्चित / अनिश्चित संख्या, क्रम, गणना का बोध कराते हैं , वे संख्या वाचक विशेषण कहलाते हैं|
जैसे : दस किताब, चार मित्र, कुछ छात्र, कई
लोग, सात दिन, दस
वर्ष ।
उदाहरण :
मेरे
पास दस आम हैं ।
राजू
के चार मित्र हैं ।
कई
लोग वहाँ रहते हैं|
आज कुछ
छात्र विद्यालय नहीं आये ।
संख्यावाचक
विशेषण दो प्रकार के होते हैं:-
(अ)
निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(आ)
अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(अ) निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
ऐसे विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की एक निश्चित
संख्या/क्रम/गणना को प्रदर्शित करते हैं, निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं|
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के भी निम्न उपभेद किये जा सकते हैं|
(क)
गणनावाचक :- एक,दो,तीन, दस,डेढ़,पांच
आदि
गणनावाचक
के भी दो उपभेद हो सकते हैं:-
1. पूर्णांक बोधक:- एक, दो, चार, बीस, दो हजार,
आदि
2. अपूर्णांक बोधक:- आधा, पाव, पौन, चौथाई, सवा,
ढाई
(ख)
क्रमवाचक :- पहला, चौथा, आठवां, दसवां|
(ग)
आवृति वाचक :- दुगुना,चोगुना, सौगुना, आदि|
(घ)
समुदाय वाचक :- दोनों, चारों, पांच के पांच, आदि|
उदाहरण :-
दोनों बालक खड़े हो जाओं| राहुल
दस केले खा गया|
आज चौथा लड़का कहाँ गया| आधा जग पानी लाओ|
(आ) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
ऐसे संख्यावाचक विशेषण शब्द
जिनसे संज्ञा या सर्वनाम की संख्या/क्रम/गणना
का निश्चितता का पता नही चलता अर्थात
अनिश्चितता बनी रहती है, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं|
जैसे:- कई, कुछ, अनेक,थोडा, कम,ज्यादा,अधिक,अत्यधिक,पर्याप्त,
ढेर सारा आदि|
(नोट:-
1.
अगर किसी संज्ञा/सर्वनाम की दो अलग अलग संख्याओं के साथ
विशेषता बताई जाती है, तो वहां अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण होते हैं| जैसे:-
चार-पांच लडकें मेरे पास आओ| विद्यालय में कोई चार सौ विद्यार्थी हैं|
2.
अगर “निश्चित संख्या वाचक विशेषण” शब्दों के अंत में “ओं ”
जोड़ दिया जाएँ तो वे भी “अनिश्चित संख्या
वाचक विशेषण” बन जाते हैं| जैसे:-
भीड़ ने सैकड़ों दुकानें
जला दी| आज हजारों लोग सडक पर आ गये|
■ परिमाण वाचक विशेषण (Quantity Adjective)
परिमाण का अर्थ होता है= माप-तौल
परिभाषा:-
ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा/ सर्वनाम (वस्तु,पदार्थ,जगह) की मात्रा,माप या तौल का बोध कराते हैं, परिमाण वाचक विशेषण
कहलाते हैं|
(लिखावट/भ्रम/अज्ञानता के करना परिमाणवाचक विशेषण को परिणाम वाचक
विशेषण लिख दिया जाता है, जो कि गलत है|)
परिणाम वाचक विशेषण के भी दो उपभेद हैं:-
(अ) निश्चित
परिमाण वाचक विशेषण
(आ)
अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण
(अ) निश्चित परिमाण वाचक विशेषण :-
ऐसे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा/सर्वनाम की
निश्चित मात्रा,माप या तौल का बोध कराते
हैं, निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं|
उदाहरण:- 1 दो किलो घी| 2. चालीस मण अनाज|
3. पांच लीटर दूध 4. दस ग्राम सोना|
(आ) अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण :-
ऐसे विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा/सर्वनाम की मात्रा,माप
या तौल की निश्चितता का बोध नहीं होता
हैं, अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं|
जैसे:- बहुत,थोडा,कम,जरा सा,ढेर सारा,ज्यादा,
पर्याप्त, अधिक, कुछ, सब , पूरा|
उदाहरण:- 1. थोडा दूध 2.
लम्बी रस्सी
3. कृष्ण में ढेर सारा मक्खन बिखेर दिया
■ संकेतवाचक /सार्वनामिक /निर्देशावाचक विशेषण:
ऐसे सर्वनाम शब्द जो वाक्य में संज्ञा शब्द के
पहले जुड़कर उसकी (संज्ञा की ) ओर संकेत करें या उसकी (संज्ञा की ) विशेषता बताएं
तो उन्हें संकेतवाचक/निर्देशावाचक/ सार्वनामिक विशेषण कहते हैं|
· जब कोई सर्वनाम शब्द विशेषण के रूप में
प्रयुक्त होता है तो वह सर्वनाम संकेतवाचक विशेषण कहलाता हैं|
· चूंकि मूल रूप में ये सर्वनाम है और ये सर्वनाम
शब्द ही संकेतवाचक विशेषण बनते है, अत: इन्हें सार्वनामिक विशेषण भी कहते हैं|
· निजवाचक सर्वनाम तथा पुरुषवाचक सर्वनाम को छोडकर
शेष सभी सर्वनाम शब्द संकेतवाचक विशेषण बन जाते हैं|
उदाहरण :-
1.
इस गेंद को मत फेंको| 2. कोई महात्मा आए हैं|
3. यह पुस्तक मेरी है| 4. किसी लड़के ने यह गन्दगी की है|
5. वे
लडकें खेल रहें हैं| 6. कौनसी लडकी बात कर रही है?
7.
वह आदमी घर जा रहा है । 8. ये
किताब किसकी है ।
9. यह
किताब हिंदी व्याकरण की है ।
■ व्यक्तिवाचक विशेषण:
ऐसे
विशेषण शब्द जो मूल रूप से तो व्यक्तिवाचक संज्ञा है परन्तु वाक्य में प्रयुक्त
होकर किसी अन्य संज्ञा शब्द की विशेषता बताते हैं, उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते
हैं| हालाँकि ये स्वयम भी संज्ञा शब्द है
और वाक्य में भी अन्य संज्ञा शब्द की ही विशेषता बताते हैं|
उदाहरण
:- बनारसी साड़ी| जोधपुरी पगड़ी| बीकानेरी
भुजिया |
कश्मीरी सेब
| जयपुरी
रजाई| पठानी कोट |
प्रविशेषण :-
ऐसे शब्द जो विशेषण की विशेषता बताते हैं , प्रविशेषण
कहलाते हैं|
जैसे:- भाविनी अति विनम्र लड़की है| भव्या बहुत परिश्रमी है|
यहाँ
विनम्र और परिश्रमी मूल विशेषण शब्द है और क्रमश: अति और बहुत उनके प्रविशेषण है|
विशेषण की रचना
कुछ
विशेषण शब्द मूल रूप से ही विशेषण होते हैं परन्तु कुछ संज्ञा,सर्वनाम, क्रिया या
अव्यय के साथ प्रत्यय जोडकर भी विशेषण बनाएं जाते हैं|
1. संज्ञा
से विशेषण :-
आ,इक,ईन ,इला,ई,मान वान, आदि प्रत्यय
जोडकर
प्यार+आ
= प्यारा समाज+इक =सामाजिक रंग+ईन=रंगीन
पुष्प+इत=पुष्पित
चमक+ईला=चमकीला धन+वान=धनवान
2.
सर्वनाम से विशेषण :-
मै+एरा=
मेरा तुम+हारा=तुम्हारा
3.
क्रिया शब्द से
विशेषण :-
भागना- भगोड़ा, पूजना+पूजनीय लूटना + लुटेरा
लड़ना= लड़ाकू
4.
अव्यय से विशेषण :-
बाहर+ई= बाहरी पीछे+ला= पिछला आगे+ला= अगला
-:धन्यवाद:-
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bahut hi achhi jankari hindi vyakarn ke bare me di hai
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