क्रिया किसे कहते हैं? भेद-उपभेद
क्रिया
· जिस
प्रकार “संज्ञा” को “नाम” कहते है उसी प्रकार “क्रिया” को “काम” कहते हैं|
· क्रिया
का शाब्दिक अर्थ है “करना” |
· क्रिया
के बिना कोई वाक्य पूरा नहीं होता है|
· किसी
भी वाक्य में कर्ता,कर्म, तथा काल की जानकारी हमें क्रिया पद के माध्यम से ही होती है|
· क्रिया
को संस्कृत में “धातु” कहा जाता है|
·
परिभाषा:-
वाक्य के जिस पद
(शब्द) से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है पद (शब्द) को क्रिया कहते हैं|
जैसे:- खाता है,
पीता है, पढता है आदि
·
धातु :- हिंदी क्रिया पदों के मूल रूप को ही “धातु” कहा
जाता है|
धातु
में “ना” जोड़ने पर क्रिया पद बनते हैं |
जैसे:- खेल+ना= खेलना, उठ+ना= उठना
व्युत्पत्ति
की दृष्टि से “धातु” के 02 भेद होते हैं –
(अ) मूल
धातु (आ) यौगिक धातु
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क्रिया के भेद
क्रिया के
भेदों का वर्गीकरण मुख्य रूप से निम्न 03 आधारों पर किया जाता है:-
परन्तु कई जगह (04) स्थान की विविधता के आधार
पर भी क्रिया के दो भेद किये जाते हैं-
(i) समापिका क्रिया (ii) असमापिका क्रिया
(अ) कर्म
के आधार पर किया के भेद :-
क्रिया पद का फल वाक्य में कर्ता को छोडकर अन्य जिस पर पद (शब्द) पर
पड़ता है, उसे कर्म कहते हैं|
कर्म के आधार पर क्रिया के मुख्य रूप से दो भेद होते हैं:-
1. सकर्मक
क्रिया 2. अकर्मक
क्रिया
(1)
सकर्मक क्रिया :-
“स’ अर्थात “सहित”
| अत: सकर्मक= कर्म के साथ|
अगर वाक्य में
क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है , तो उस क्रिया को “सकर्मक क्रिया” कहते हैं| जैसे:-
भाविनी
चाय पी रही है|
भव्या
गाना गा रही है|
कर्म की संख्या
के आधार पर सकर्मक क्रिया के भी 02 भेद होते हैं:-
i. एक कर्मक क्रिया:- अगर वाक्य में
क्रिया के साथ एक ही कर्म प्रयुक्त होता है तो वह एककर्मक क्रिया कहलाती है| जैसे:-
राधा अख़बार पढ़ रही है|
ममता
पत्र लिख रही है|
(इन उदाहरणों
में “पढ़” और “लिख” एककर्मक क्रिया है, जिनका एक कर्म क्रमश: अख़बार और पत्र है|
ii. द्विकर्मक
क्रिया:- अगर वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म आते हैं तो वहां द्विकर्मक
क्रिया होती है| जैसे:-
अध्यापक छात्रों को हिंदी पढ़ा रहे हैं| रोहन ने मोहन को पुस्तक दी |
उपर्युक्त वाक्यों में “पढ़ा “ और “दी”
क्रियाएँ द्विकर्मक हैं इनके दो कर्म क्रमश: छात्रों, हिंदी और मोहन को , पुस्तक
है |
(2) अकर्मक क्रिया :-
वाक्य
में क्रिया का प्रभाव या फल केवल कर्ता पर ही पड़ता है, यानि क्रिया का कोई कर्म
नहीं होता है, तो उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं|
जैसे:-
रितेश हँसता है|
मनीष
बीमार है|
जयंत रो रहा है|
इन
वाक्यों में क्रिया का फल कर्ता को छोडकर किसी अन्य पद पर नही पड़ रहा और न ही
वाक्य में कोई कर्म पद प्रयुक्त हुआ है इसलिए यहाँ अकर्मक क्रिया है|
(आ) संरचना/रचना
के आधार पर किया के भेद :-
वाक्य
में क्रिया का प्रयोग कहाँ किया जा रहा है, किस रूप में किया जा रहा है , के आधार
पर किये जाने वाले भेद संरचना के आधार पर भेद कहलाते है।
संरचना के आधार पर मुख्य रूप निम्न 10 भेद होते
हैं |
(हालाँकि कि उपभेद होने के कारण संरचना के आधार
पर भेदों की संख्या में अंतर आ सकता है|
(i) सामान्य क्रिया:-
जहाँ किसी कार्य/क्रिया
का सामान्य रूप से करना या होना पाया जाता है तो वहां सामान्य क्रिया होती है| इसे
विद्यार्थी क्रिया/ मूल क्रिया/सरल क्रिया भी कहते है | जैसे:- जाता है, नहा रहा है, पी रहा है, नीमा आई आदि
(ii) संयुक्त क्रिया :-
जब दो या दो से अधिक भिन्न अर्थ रखने वाली क्रियाओं का मेल हो, तो
उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं| जैसे:-
आ गया, बना लिया,
स्वागत करों, आदि|
संयुक्त क्रिया के भेद :
(क) मुख्य क्रिया :- कर्ता या कर्म
के मुख्य कार्य को प्रदर्शित करने वाली क्रिया मुख्य क्रिया कहलाती है| जैसे :-
रोहित को
खेलने दो| रमा को आने दो|
(ख) सहायक
क्रिया :- काल या समय का बोध कराने वाली क्रियाओं को सहायक कहते हैं| सहायक
क्रिया वाक्य में मुख्य क्रिया की (अर्थ प्रकट करने में ) सहायता करती है| एनी
शब्दों में कहे तो मुख्य क्रिया के अलावा जो अंश बचता है , उसे सहायक क्रिया कहते हैं|
जैसे:-
मैं पत्र पढ़ चुका हूँ|
- पढ़ –मुख्य क्रिया , चुका हूँ—सहायक क्रिया
(इनके अलावा
संयुक्त क्रिया के दो भेद संयोजी क्रिया और रंजक क्रिया भी किये जाते हैं)
(iii)
नामधातु/नामिक क्रिया :-
वे क्रिया पद जो संज्ञा,सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों से बनते है अन्य
शब्दों में खे तो जब वाक्य में संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण आदि शब्द ही मूल धातु के रूप
में प्रयुक्त होकर क्रिया पद बन जाते है, तो उसे नाम धातु क्रिया कहते हैं| जैसे:-
हाथ (संज्ञा) - हथिया (नामधातु) – हथियाना (क्रिया)
शर्म (संज्ञा) -
शर्म (नामधातु) - शर्माना (क्रिया)
सूखा (विशेषण ) - सूखा (नामधातु) - सुखाना (क्रिया )
अपना (सर्वनाम) - अपना (नामधातु) - अपनाना (क्रिया)
(iv)
प्रेरणार्थक क्रिया :-
जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य व्यक्ति (को प्रेरित करके )
से कार्य करवाता है, तो वहां प्रेरणार्थक
क्रिया होती है|
पहचान :- क्रिया के अंत में “वाता”,“वाते”,“वाना”,“वानी”,“वाया”,
वायी” आदि जुड़ते हैं| जैसे:-
शाहजहां ने (कारीगरों से ) ताजमहल बनवाया |
सरपंच ने गाँव में तालाब बनवाया|
मोहन , सुरेश से पत्र लिखवाता है|
(v)
पूर्वकालिक क्रिया :-
जब किसी वाक्य में दो क्रियाएँ एक साथ प्रयुक्त होती है, और उनमें से
एक क्रिया दूसरी क्रिया से पहले सम्पन्न हो जाती है, तो पूर्व में सम्पन्न होने
वाली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं|
पूर्वकालिक क्रिया के अंत में “कर” या “करके” जुडा रहता है| जैसे:-
रेहाना पढ़कर सो गई|
सुमन खाना खाकर
चला गया |
तात्कालिक क्रिया :-
पूर्वकालिक क्रिया का एक रूप “तात्कालिक
क्रिया” भी है| इसमें एक क्रिया समाप्त
होते ही तत्काल दूसरी क्रिया शुरू हो जाती है| इसमें “धातु+ ते ही” से क्रिया पद
का निर्माण होता है| जैसे:-
वह
खाना खाते ही सो गया|
पुलिस
के आते ही चोर भाग गया|
पूर्वकालिक क्रिया के स्थान पर पूर्णकालिक क्रिया भी लिखा
हुआ मिलता है, जो कि गलत है|
(vi)
कृदंत क्रिया :-
वे क्रियाएँ
जो क्रिया पदों में (कृदंत) प्रत्यय जुड़ने से बनती है, कृदंत क्रियाएँ कहलाती हैं|
क्रिया पदों में जुड़ने वाले प्रत्यय “कृत” प्रत्यय
कहलाते हैं| और “कृत” प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्द “कृदंत” कहलाते हैं|
क्रिया प्रत्यय
कृदंत क्रिया
चल + ना चलना,
चलता,चलकर,
लिख + ना लिखना,
लिखता,लिखकर
(vii) अनुकरणात्मक
क्रिया
जहाँ व्यक्ति एवं वस्तु की ध्वनि के अनुकरण से जो क्रिया बनती है,
उसे “अनुकरणात्मक क्रिया” कहते हैं|
जैसे:-
खट – खट = खट खटाना
थर-थर = थरथराना
थप- थप = थपथपाना
बड-बड = बडबडाना
झन-झन = झनझनाना
चम-चम = चमचमाना
(viii) मिश्र
क्रिया
वे क्रियाएँ जो
संज्ञा एवं सर्वनाम अथवा क्रिया विशेषण के साथ क्रिया सूचक अंश जोड़ने से बनती हैं,
उन्हें मिश्र क्रिया कहा जाता है|
अर्थात पहला अंश
संज्ञा/विशेषण/क्रिया विशेषण होता है , और दूसरा अंश क्रिया का होता है | जैसे:-
प्यास लगना , अच्छा लगना , अंदर करना,
सामने आना , पीछे पड़ना
(ix)
सजातीय क्रिया
जहाँ कर्म कर्म और क्रिया दोनों एक ही मूल शब्द (धातु ) से बने हुए
हो और वाक्य में साथ प्रयुक्त हो तो वहां सजातीय क्रिया होती है|
जैसे:-
भारत ने लड़ाई लड़ी |
लड़ाई-कर्म
, लड़ी-क्रिया
रशीद ने इस वर्ष 10वीं की पढाई पढ़ीं|
(x)
अपूर्ण क्रिया :-
जब क्रिया वाक्य में प्रयुक्त होने पर भी अपना स्पष्ट और पूर्ण अर्थ
प्रकट न करें , तो उसे अपूर्ण क्रिया कहते है| जैसे:-
नेहरु जी भारत के थे-
प्रधानमंत्री
वह रमेश को मानता है – शत्रु/ मित्र
यह है - मोहित
(इन भेदों के अलावा समस्त क्रिया नाम से भी एक भेद और हो सकता है)
समस्त क्रिया :-
दो क्रियाओ के समाप्त हो
जाने से जो क्रिया बनती है , उसे समस्त क्रिया कहते है|
जैसे:- उठ-बैठ, पढ़-लिख, खेल-कूद, नाच-गा, हिल-डुल
(इ)
काल के
आधार पर क्रिया के भेद :-
जिस काल में क्रिया सम्पन्न होती है, उसके आधार पर क्रिया के मूल रूप
से 03 भेद होते हैं:-
(i)
भूतकालिक क्रिया :-
क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा कार्य (क्रिया) का बीते हुए समय (भूतकाल)
में सम्पन्न होने का बोध होता है, उसे भूतकालिक क्रिया कहते हैं|
जैसे:- सरोज गयी | कमल विदेश चला गया| सलीम ने पुस्तक पढ़ी |
(ii)
वर्तमान कालिक क्रिया :-
क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा वर्तमान समय में कार्य के सम्पन्न
होने का बोध होता है, उसे वर्तमानकालिक क्रिया कहते हैं| जैसे :-
सीता नाच रही है| बालक खेल रहें हैं|
विमला खाना बना रही है| कमला गाना गाती है|
(iii)
भविष्यत कालिक क्रिया :-
क्रिया का वह
रूप जिसके द्वारा आने वाले समय में क्रिया के सम्पन्न होने का बोध होता है, उसे
भविष्यतकालिक क्रिया कहते हैं| जैसे:-
कोमल कल जयपुर जायेगी|
अशोक पत्र लिखेगा|
दिनेश
प्रतियोगिता में भाग लेगा | विमला कल यहाँ आएगी|
(कृपया अपने
सुझाव और प्रश्न जरुर लिखें)
Nic
जवाब देंहटाएंSir aapne
जवाब देंहटाएंkriya kise kahte hai ko acche se samjhaya hai thank you