व्याकरण
व्याकरण
:-
किसी भाषा के शुद्ध या अशुद्ध रूप का ज्ञान कराने वाले नियमों को
व्याकरण कहते हैं|
किसी भी भाषा को जानने से पहले उस भाषा के व्याकरण को जानना बहुत ही
आवश्यक होता है|
हिंदी
व्याकरण :-
हिंदी भाषा को शुद्ध रूप से पढने और लिखने सम्बन्धी नियमों की
जानकारी देने वाले शास्त्र को “हिंदी व्याकरण” कहते हैं|
हिंदी
व्याकरण का अध्ययन :-
हिंदी भाषा सम्बन्धी व्याकरण की जानकारी के लिए इसे अनेक भागों में
विभाजित किया जा सकता है|
परन्तु हिंदी व्याकरण के विभिन्न पक्षों के अध्ययन के लिए इसे मोटे
तौर पर निम्न अंगों में विभाजित किया जा सकता
है:-
1. वर्ण विचार
2. शब्द विचार
3. वाक्य विचार
इन अंगो का सामान्य परिचय:-
1. वर्णविचार :-
व्याकरण के इस भाग में निम्नलिखित बिन्दुओं का अध्ययन किया जाता है|
वर्ण, अक्षर,ध्वनि,स्वर, व्यंजन, वर्णमाला, वर्णों के उच्चारण स्थान,
वर्णों का प्रयत्न के आधार पर वर्गीकरण
2. शब्द विचार :-
व्याकरण के इस भाग में निम्नलिखित बिन्दुओं का
अध्ययन किया जाता है|
शब्द विचार (क):-
परिभाषा एवं प्रकार
(1) उत्पत्ति के आधार पर
(2) रचना के आधार पर
(3) प्रयोग के आधार पर
(4) अर्थ के आधार पर
शब्द विचार (ख):-
(1) विकारी शब्द :-
संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण
(2) अविकारी शब्द :-
क्रिया-विशेषण, सम्बन्ध बोधक, समुच्चय बोधक, विस्मयादि
बोधक
3. वाक्य विचार :-
वाक्य की परिभाषा, वाक्य के अंग, वाक्य के भेद,
वाक्य विश्लेषण,वाक्य संश्लेषण, वाक्य के आवश्यक तत्व, पद परिचय, वाक्य में
पदक्रम, वाक्य में क्रिया का अन्वय, वाक्य शुद्धि
वाक्य
के भेद:-
i.
क्रिया के आधार पर
ii. अर्थ के आधार पर
iii. रचना के आधार पर
4. अर्थ विचार :-
पर्याय, विलोम, वाक्यांश के लिए एक शब्द, समानार्थी,
5. शब्द रूपांतरण :-
लिंग,वचन कारक, काल, वाच्य
6. व्याकरण के अन्य भाग:-
संधि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय, विराम चिह्न,
मुहावरें – लोकोक्तियाँ, शब्द-शक्तियां,
Post a Comment