उसने नही कहा
उसने नही कहा
राजीव गर्मी की छुट्टियों में अक्सर अपने ननिहाल जाया करता था। इस बार दसवीं बोर्ड की परीक्षा के बाद भी छुट्टियों में वह अपने ननिहाल आया हुआ था। घर के लिए सामान लाने के लिए वह पास की ही एक किराने की दुकान पर जाया करता था। ऐसे ही एक दिन उसने दुकान पर एक 10-11 साल की लड़की को देखा। लड़की भी दुकान पर मेहंदी लेने आई हुई थी। राजीव ने उस लड़की को पहली बार देखा था। लड़की ने पीले रंग का सलवार कुर्ता पहन रखा था। पीले रंग में उसका गौरा मुख और चमक रहा था। लड़की का नाम प्रिया था। अबकी बार प्रिया भी गर्मी की छुट्टियों में अपने ननिहाल आई हुई थी। प्रिया बहुत सुंदर थी, और राजीव भी कम सुंदर नही था। राजीव का व्यक्तित्व भी बहुत आकर्षक था। दोनों ने एक दूसरे को देखा। अब वो दोनों उस दुकान पर अक्सर एक दूसरे को नजर आ जाते थे, आंखें टकराती थी। धीरे धीरे दोनों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा। दोनों में बातें होने लगी।
एक दिन दोनों बातें करते हुए दुकान से जा रहे थे कि प्रिया के पीछे एक पागल कुत्ता दौड़ने लगा, प्रिया डरकर भागने लगी। दौड़ते समय प्रिया अचानक एक तेज गति से आ रही मोटरसाइकिल के सामने आ गयी। राजीव ने दौड़कर प्रिया को बचाया , इस बीच राजीव स्वयं मोटरसाइकिल से टकरा गया , उसके हाथ पर खरोंच आ गयी। प्रिया को यह देखकर बहुत दुःख हुआ।
इसी प्रकार छुट्टियां बीतने लगी। एक दिन राजीव ने हिम्मत करके प्रिया से पूछ ही लिया - " मुझसे शादी करोगी"? प्रिया शरमा कर वहां से चली गई। राजीव प्रिया के शरमा जाने का अर्थ समझ नही पाया। उसके बाद राजीव ने प्रिया को दुबारा नही देखा। राजीव जब भी दुकान पर जाता , इधर उधर अपनी नजरें दौड़ाता , प्रिया का इन्तजार करता, पर प्रिया दुबारा नही दिखी। शायद प्रिया अपने घर लौट चुकी थी। राजीव कुछ दिनों तक प्रिया को याद करता रहा और प्रिया की याद में उदास रहने लगा। परंतु धीरे धीरे सब सामान्य हो गया। छुट्टियां समाप्त होते ही राजीव भी अपने घर लौट आया।
समय भी पंख लगाकर उड़ने लगा। राजीव अब तीस वर्ष का युवक हो चुका था। डॉक्टरी की पढ़ाई करके वह जयपुर के बहुत बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टर बन गया। और बाद में उस अस्पताल का विभागाध्यक्ष बना दिया गया।
कुछ समय बाद पूरे विश्व में कोरोना नामक महामारी फैलने लगी। भारत भी इस बीमारी से अछूता नही रहा । चारों और कोरोना के मरीज बढ़ने लगे। कोरोना से मौतें होने लगी। सभी लोग डरे हुए थे, अपने घरों से केवल राशन के लिए ही बाहर निकलते थे। लोगों के मन में इस बीमारी का इतना डर बैठ गया था कि वो एक दूसरे से बात करने में भी कतराने लगे थे। राजीव के अस्पताल को कोरोना रिलीफ सेंटर बनाया गया। राजीव की जिम्मेदारी बढ़ गयी।
इसी समय अस्पताल में एक परिवार कोरोना के उपचार के लिए आया। परिवार के साथ एक 25-26 वर्ष की युवती भी थी। युवती को देखकर राजीव की यादें ताजा हो गयी। यह युवती प्रिया थी। प्रिया ने भी राजीव को पहचान लिया था। राजीव प्रिया के पास आया और हालचाल पूछे।
प्रिया ने बताया कि "उसके पति मुकेश एक सरकारी अध्यापक है, और कोरोना ड्यूटी करते समय कोरोना से संक्रमित हो गए है। और पति से यह बीमारी उसके बेटे रोहन को भी हो गई है। " यह कहते कहते वह रोने लगी। प्रिया किसी तरह इस बीमारी से बच गयी थी। प्रिया की आंखों में आँसू थे , वह राजीव से और भी बहुत कुछ कहना चाहती थी, पर कह न सकी परंतु राजीव सब समझ गया था। प्रिया अपने परिवार को अस्पताल में छोड़कर घर आ गयी थी, क्योंकि संक्रमित व्यक्ति के पास कोई नही जा सकता था।
राजीव ने अपने सहयोगियों को मुकेश और रोहन का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा । वह स्वयं भी उन दोनों की विशेष देखभाल किया करता था।
कोरोना ड्यूटी करते हुए राजीव भी कोरोना महामारी की चपेट में आ गया। उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उसकी हालत बिगड़ने लगी और एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। मुकेश और रोहन बीमारी से जंग जीतकर अपने घर लौट चुके थे। प्रिया को जब राजीव की मौत की खबर मिली तो वह बहुत दुःखी हुई। प्रिया मन में पश्चाताप करते हुए सोचने लगी कि " काश मैनें राजीव को कह दिया होता!"
दोस्तों कमेंट करके बताइए कि प्रिया राजीव से क्या कहना चाहती थी।
धन्यवाद।
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प्रिया ननिहाल से लौटते समय शादी के लिए हाँ कहना चाहती थी।
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