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मिठाई के डिब्बे ( कहानी)



मिठाई के डिब्बे


        नीतू राखी के त्यौहार को लेकर इस बार बड़ी खुश थी क्योंकि इस बार उसके बड़े भैया  राजीव कई वर्षों बाद विदेश से घर लौट रहे थे और नीतू को 10 वर्षों  बाद उनको राखी बांधने  का मौका मिल रहा था | उसने अपनी छोटी बहन सीमा को भी ससुराल से अपने घर बुला लिया था ताकि दोनों बहनें एक साथ अपने मायके  जाकर अपने दोनों भाइयों राजीव और शालीन को राखी बांध सकें| छोटा भाई शालीन एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था और राजीव विदेश में एक  बहुत बड़ी कम्पनी में मेनेजर के पद पर काम करता था | राजीव के विदेश जाने से पहले चारों भाई बहन प्रतिवर्ष रक्षाबन्धन का त्योंहार बड़ी ख़ुशी और जोश के साथ मानते थे | लेकिन बड़े भाई राजीव के विदेश जाने के बाद दोनों बहनों को राखी के अवसर पर राजीव की कमी हर वर्ष खलती थी |
        

खैर इस बार चारों भाई बहन फिर से उसी तरह राखी का त्यौहार मनाएंगे  इसी आशा में दोनों बहने बहुत उत्साहित थी|


        सीमा के आने के बाद दोनों बाजार गई और अपने दोनों भाइयों के लिए राखियाँ खरीदने लगी| नीतू ने राजीव के लिए बहुत महँगी और डिजाईनदार राखी खरीदी और छोटे भाई के लिए सामान्य सी राखी खरीदी | राजीव को अच्छा लगना चाहिए बस ये ही सोच रही थी नीतू|
राखी और मिठाइयाँ खरीदने के बाद दोनों बहने नीतू की कार से अपने बच्चों को लेकर सबसे पहले बड़े भाई राजीव के कोठी पर पहुंची|


        दोनों बहनों को देखकर राजीव बोले “कितनी देर लगा दे तुम दोनों ने आने में|” और जल्दी से राखी बंधवाकर कहीं जाने की तैयारियों में लग गए | नीतू ने भाभी के बारे में नौकर से पूछा तो पता चला की दोनों कही जाने की तैयारी में लगे हुए है| भाभी बाहर भी नहीं आई और नौकर के हाथ से दो लिफाफे और मिठाई के डिब्बे भिजवा दिए | थोड़ी देर इंतजार करने के बाद दोनों बहने वहां से रवाना हो गयी |

 उनका छोटा भाई शालीन अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दोनों का बेसब्री से इंतजार कर रहा था | भाभी ने दोनों बहनों  को गले  लगाया और बोला- चलो दीदी पहले खाना खाते है फिर राखी बंधवायेंगे | अपने भतीजे – भतीजी और अपने बच्चों के साथ हँसते खिलखिलाते खाना खाते समय दोनों अपने बड़े भाई राजीव के घर की सारी बातें भूल गई छोटे भाई और भाभी का अनमोल प्यार पाकर दोनों बहुत खुश थी|

 बड़ी भाभी द्वारा दिए लिफाफे बैग के  किसी कोने में पड़े थे |
           शाम को राजीव फ़ोन पर नीतू से पूछ रहे थे की तुम दोनों ने मिठाई के डिब्बे यहाँ क्यों छोड़ दिये थे?

 नीतू राखी के त्यौहार को लेकर इस बार बड़ी खुश थी क्योंकि इस बार उसके बड़े भैया  राजीव कई वर्षों बाद विदेश से घर लौट रहे थे और नीतू को 10 वर्षों  बाद उनको राखी बांधने  का मौका मिल रहा था | उसने अपनी छोटी बहन सीमा को भी ससुराल से अपने घर बुला लिया था ताकि दोनों बहनें एक साथ अपने मायके  जाकर अपने दोनों भाइयों राजीव और शालीन को राखी बांध सकें| छोटा भाई शालीन एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था और राजीव विदेश में एक  बहुत बड़ी कम्पनी में मेनेजर के पद पर काम करता था | राजीव के विदेश जाने से पहले चारों भाई बहन प्रतिवर्ष रक्षाबन्धन का त्योंहार बड़ी ख़ुशी और जोश के साथ मानते थे | लेकिन बड़े भाई राजीव के विदेश जाने के बाद दोनों बहनों को राखी के अवसर पर राजीव की कमी हर वर्ष खलती थी |
        

खैर इस बार चारों भाई बहन फिर से उसी तरह राखी का त्यौहार मनाएंगे  इसी आशा में दोनों बहने बहुत उत्साहित थी|
        

सीमा के आने के बाद दोनों बाजार गई और अपने दोनों भाइयों के लिए राखियाँ खरीदने लगी| नीतू ने राजीव के लिए बहुत महँगी और डिजाईनदार राखी खरीदी और छोटे भाई के लिए सामान्य सी राखी खरीदी | राजीव को अच्छा लगना चाहिए बस ये ही सोच रही थी नीतू|
राखी और मिठाइयाँ खरीदने के बाद दोनों बहने नीतू की कार से अपने बच्चों को लेकर सबसे पहले बड़े भाई राजीव के कोठी पर पहुंची|


            दोनों बहनों को देखकर राजीव बोले “कितनी देर लगा दे तुम दोनों ने आने में|” और जल्दी से राखी बंधवाकर कहीं जाने की तैयारियों में लग गए | नीतू ने भाभी के बारे में नौकर से पूछा तो पता चला की दोनों कही जाने की तैयारी में लगे हुए है| भाभी बाहर भी नहीं आई और नौकर के हाथ से दो लिफाफे और मिठाई के डिब्बे भिजवा दिए | थोड़ी देर इंतजार करने के बाद दोनों बहने वहां से रवाना हो गयी |


        उनका छोटा भाई शालीन अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दोनों का बेसब्री से इंतजार कर रहा था | भाभी ने दोनों बहनों  को गले  लगाया और बोला- चलो दीदी पहले खाना खाते है फिर राखी बंधवायेंगे | अपने भतीजे – भतीजी और अपने बच्चों के साथ हँसते खिलखिलाते खाना खाते समय दोनों अपने बड़े भाई राजीव के घर की सारी बातें भूल गई छोटे भाई और भाभी का अनमोल प्यार पाकर दोनों बहुत खुश थी|


        बड़ी भाभी द्वारा दिए लिफाफे बैग के  किसी कोने में पड़े थे |
शाम को राजीव फ़ोन पर नीतू से पूछ रहे थे की तुम दोनों ने मिठाई के डिब्बे यहाँ क्यों छोड़ दिये थे?

 

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