जल्दबाजी का पश्चाताप
जल्दबाजी का परिणाम
गरीबी से परेशान होकर श्यामलाल आत्महत्या के विचार से नदी पर गया। रास्ते में उसे एक साधु मिला। साधु ने श्याम लाल को परेशान देखकर परेशानी का कारण पूछा।
श्यामलाल ने साधु को अपनी परेशानी का कारण बताया। श्याम लाल की परेशानी सुनकर साधु बोला:- "मेरे पास ऐसी विद्या है जिसकी मदद से मैं एक इच्छापूर्ति करने वाला घड़ा बना सकता हूँ। उस घड़े की मदद से तुम अपनी सारी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हो।
ये बात सुनकर श्याम लाल ने साधु के पैर पकड़ लिए और वह घड़ा देने की प्रार्थना करने लगा।
साधु ने कहा कि अगर तुम यह घड़ा चाहते हो तो तुम्हें 02 वर्ष तक मेरे आश्रम में रहकर मेरी सेवा करनी होगी। परन्तु अगर तुम 05 वर्ष तक रहकर मेरी सेवा करोगे तो मैं तुम्हें घड़ा बनाने की विद्या सिखा दूंगा।
श्यामलाल ने कहा कि मुझे तो ये घड़ा जल्दी से जल्दी चाहिए और 02 वर्ष तक आश्रम में रहकर साधु की सेवा करके उसने साधु से घड़ा प्राप्त कर लिया। आश्रम से जाते समय साधु ने श्यामलाल को चेतावनी दी कि इस घड़े से तुम जो मांगोगे वो सब मिल जाएगा , परन्तु अगर जिस दिन घड़ा फूट जाएगा उस दिन घड़े से मिली हुई सारी चीजें वापस गायब हो जाएगी। श्याम लाल ने सावधान रहने की बात कहकर अपने घर आ गया।
घर आकर उसने अपनी सारी इच्छाएँ पूरी करनी चाही। उसने घड़े से धन-दौलत, गाड़ी बंगला, नौकर चाकर सब मांगे, और घड़े ने भी श्याम लाल की सारी इच्छाएँ पूरी कर दी। अचानक ये सब पाकर श्याम लाल घमंडी हो गया। अपनी दौलत की धाक सब पर जमाने लगा। धीरे धीरे उसे बुरी आदतों ने भी उसे घेर लिया। उसने शराब पीनी शुरू कर दी।
एक दिन शराब के नशे में वह घड़े को अपने सिर पर रखकर नाचने लगा। अचानक उसका पैर किसी चीज से टकराया और वह घड़ा नीचे गिर कर फूट गया। देखते ही देखते घड़े का दिया हुआ सब कुछ गायब हो गया।
अब श्यामलाल बैठकर रोते हुए पश्चाताप करने लगा कि काश मैने जल्दबाजी नही की होती, और मैनें घड़ा बनाने की विद्या सीख ली होती तो, मैं फिर से गरीब नही होता।
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सीख:- हमारे सामने हमेशा दो रास्ते होते है। एक सरल और छोटा दूसरा लम्बा और कठिन। लेकिन दूसरा वाला स्थायी परिणाम वाला होता है। अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम कौनसा वाला चुनते है।
धन्यवाद।
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