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वसीयत


 वसीयत



वसीयत




दीनानाथ सरकारी क्लर्क थे और अपना रिटायमेंट काट रहें थे। लेकिन रिटायरमेंट उन्हें रास नही आया। रिटायरमेंट के कुछ महीनों के बाद ही गंभीर बीमारी के कारण वो इस दुनिया को छोड़कर चले गए। सविता ( दीनानाथ की पत्नी) को इस घटना से बहुत दुःख हुआ। जैसे तैसे उसने अपने आप को संभाला। 
    दीनानाथ के दो बेटे रोहित और मोहित और बबीता नाम की एक बेटी थी। पेंशन के पैसों से सविता ने सबसे पहले बबीता का विवाह बड़ी घूम धाम से किया। और बाद में एक एक करके दोनों बेटों के भी विवाह कर दिया। एक दो वर्ष तक तो सब ठीक ठाक चलता रहा है, लेकिन अब सविता अकेली पड़ गयी थी, क्योंकि रोहित और मोहित ने सविता का ध्यान रखना बंद कर दिया था। सविता की उम्र ज्यादा होने के कारण वह अक्सर बीमार रहने लगी। दोनों बहुएं सविता की देखभाल को लेकर आपस में झगड़ती रहती थी।
    सविता का बाकी समय कटना मुश्किल हो गया, जिंदगी उसे बोझ सी लगने लगी। उसे समय पर न खाना मिलता , और न ही उसकी दवा। सविता परेशान रहने लगी। एक दिन बहुओं ने घर के बंटवारें की बात की तो सविता ने अच्छे दिनों की उम्मीद में घर का बंटवारा कर दिया। बंटवारे में घर की प्रत्येक वस्तु को दो बराबर भागों में बांट दिया। और तय हुआ कि एक महीने रोहित सविता की देखभाल और भोजन का प्रबंध करेगा तो अगले महीने मोहित। तीन चार महीने तक सब ठीक ठाक चलता रहा। परंतु उसके बाद तो सविता की हालत और बदतर हो गयी। धीरे धीरे दोनों बेटे और बहुएँ सविता को बोझ मानने लगे। और उसका ध्यान रखना बंद कर दिया।
     इस तरह सविता और भी दुःखी रहने लगी। एक उसकी पुरानी सहेली निकिता उससे मिलने आई। निकिता और सविता एक ही स्कूल में पढ़ा करती थी। सविता ने निकिता को अपनी परेशानी बताई तो निकिता ने सविता को एक उपाय बताया। अगले दिन निकिता अपने घर चली गई।
वसीयत




        दो दिन बाद सविता ने अपने वकील को बुलाया और अपनी वसीयत बनाने के लिए कहा। वकील को आया देखकर दोनों बहुएँ भी सविता के पास आ गयी पर सविता ने उन्हें वहां से भेज दिया और वकील से अपनी वसीयत बनवा ली। बहुएँ दरवाजे के बाहर खड़ी रहकर वसीयत के बारे में सुनना चाहती थी लेकिन सुन नही सकी। जब वकील जाने लगा तो बड़ी बहू ने आकर वकील से वसीयत के बारे में पूछा। वकील ने बताया कि सविता जी की वसीयत के अनुसार उनकी मृत्यु के बाद सारी दौलत उस भाई को मिलेगी जो सविता जी की सबसे ज्यादा सेवा करेगा। यह कहकर वकील चला गया।
          दूसरे दिन से ही सविता के दिन फिर गए। दोनों बहुएँ सविता का बढ़ चढ़कर ध्यान रखने लगी। समय पर नाश्ता , खाना और दवा मिलने लगी। अब सविता अपने बचे हुए दिन सुख के साथ काटने लगी।
           निकिता की सलाह उसके लिए बहुत लाभदायक हो गयी।


धन्यवाद।

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