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प्रतिदान

 पंकज के पिताजी जयपुर में एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क के पद पर नौकरी करते थे। पंकज पास के ही एक प्राइवेट स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ता था।

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कुछ दिनों के बाद उसकी कक्षा में प्रिया नाम की एक लड़की ने एडमिशन लिया। प्रिया के पिताजी अजमेर से ट्रांसफर होकर आए थे और पंकज के पिता के दफ्तर में ही पोस्टिंग हुई थी।
और पंकज की कॉलोनी में ही रहने लगे थे।
धीरे धीरे पंकज और प्रिया में गहरी दोस्ती हो गई। प्रिया के मन में पंकज के लिए कुछ खास जगह थी।
पांच वर्ष बीतने के बाद पंकज के पिता का ट्रांसफर जयपुर से जोधपुर हो गया। पंकज के पिता परिवार सहित जोधपुर चले गए।
समय बीतता गया अब प्रिया जवान हो गयी। उसके पिता को प्रिया के विवाह की चिंता सताने लगी। प्रिया के लिए योग्य पति की इच्छा से पंकज के पिता के पास जोधपुर पहुंचे।
विवाह संबंधी सभी समानताएं होते हुए भी पंकज के पिताजी ने इस विवाह के लिए इनकार कर दिया।
प्रिया को जब इस बात का पता चला तो उसे बहुत दुःख हुआ और वह बहुत दुःखी रहने लगी। कुछ समय बाद हार्ट अटैक से प्रिया के पिता की मृत्यु हो गई । प्रिया अब अकेली रह गई।
 उधर पंकज भी सरकारी अध्यापक बन चुका था और प्रिया ने भी विज्ञान विषय में ग्रेजुएशन करने के बाद एयर हॉस्टेज की परीक्षा दी और उत्तीर्ण होने के बाद एयर हॉस्टेज की नौकरी शुरू कर दी। 
नौकरी में उत्तराधिकारी का नाम दर्ज करवाना होता है, ताकि कर्मचारी की दुर्घटना की स्थिति में नॉमिनी को लाभ मिल सके।

जल्दबाजी का पश्चाताप



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 वह सोचने लगी कि अपना नोमिनी किसे बनाऊ। बहुत सोच विचार करने के बाद अगले दिन उसने कार्यालय में जाकर नॉमिनी के नाम में पंकज का नाम लिखवा दिया।
दो वर्ष बीतने पर एक दिन वायुयान दुर्घटना में प्रिया की मौत हो गई। प्रिया की मौत के बाद पंकज को प्रिया के पैसे और प्रिया की मौत होने की सूचना मिली, तो पंकज का हृदय बैठ गया। अब वो प्रिया की याद में जलने लगा। 
किसी तरह उसने अपने आप को संभाला और प्रिया की नौकरी के पैसे प्राप्त किये।
 इसके बाद पंकज ने प्रिया की याद में "प्रिया शिक्षा मंदिर" नामक एक ट्रस्ट की स्थापना की। और अपनी अध्यापक की नौकरी छोड़कर इस शिक्षा मंदिर का संचालन करने का निश्चय किया।
पंकज का मानना था कि--
" मैं इसके अलावा प्रिया के प्रेम के प्रतिदान के रूप में और क्या दे सकता हूँ ? मेरा जीवन प्रिया के स्मृति मंदिर में बीते, इसके अलावा मुझे और क्या चाहिए।" 

सुखी कौन




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