रीढ़ की हड्डी पाठ के प्रश्न उत्तर कृतिका कक्षा 9 reedh ki haddi class 9
NCERT
Solutions for Class 9 Hindi Kritika
Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
पाठ्यपुस्तक
के प्रश्न-अभ्यास
1. रामस्वरूप और रामगोपाल प्रसाद बात-बात पर
"एक हमारा जमाना था .... " कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते
हैं । इस प्रकार की तुलना कहाँ तक तर्क संगत है ?
उत्तर:- रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात बात पर "एक
हमारा जमाना था..." कह कर जिन मापदंडों पर आज के समय की अपने समय से तुलना कर
रहे हैं, यह तुलना तर्क संगत नहीं है| यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण है कि वह अपने बीते हुए
समय को याद करता है, तथा उसे ही सही ठहराता है परन्तु बीते हुए समय की तुलना वर्तमान समय से
करना तर्क संगत नहीं है क्योंकि हर एक समय अपनी उस समय की परिस्तिथियों के अनुसार
सही होता है। और समय के
साथ समाज में, जलवायु में, खान-पान में सब में परिवर्तन होता
रहता है। हर समय परिस्थितियां एक सी नही होतीं हैं। हर
ज़माने की अपनी स्थितियाँ होती हैं, जमाना बदलता है तो कुछ कमियों के साथ सुधार भी आते हैं।
2. रामस्वरूप का अपनी बेटी को
उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह
विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर:-
रामस्वरूप उमा के पिता है। वे लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने के पक्षधर हैं। उन्होंने उमा को
कॉलेज की शिक्षा दिलवाकर बी.ए. पास करवाया। परन्तु उमा के विवाह का
अवसर आने पर वह उसकी उच्च शिक्षा को छिपाकर उसको केवल मेट्रिक तक पढ़ी हुई ही बताते
है। रामस्वरूप जिस प्रकार से अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छुपा रहे हैं, वह यह प्रदर्शित करता है कि अपनी बेटी के भविष्य की खातिर वह किस प्रकार से रूढ़िवादी विचार धाराओं और दकियानूसी सोच के सामने विवश हैं। यह उनकी समाज में फैली अवधारणाओं के प्रति विवशता
को प्रदर्शित करता है।
3. अपनी बेटी का रिश्ता तय
करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं,
उचित क्यों नहीं है ?
उत्तर:-अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप
उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह सरासर गलत है। एक तो वे
अपनी पढ़ी-लिखी लड़की को कम पढ़ा-लिखा साबित कर रहे हैं और उसे सुन्दरता को और बढाने
के लिए नकली प्रसाधन सामग्री का उपयोग करने के लिए कहते हैं जो अनुचित है। साथ ही
वे यह भी चाहते हैं कि उमा वैसा ही आचरण करे जैसा लड़के वाले चाहते हैं। वह चाहते हैं कि उनकी पुत्री समाज में पुरुष
वर्चस्व को स्वीकार करें और उन्हीं के अनुसार व्यवहार करे। परन्तु वे यह क्यों भूल रहे हैं कि जिस प्रकार
लड़के की अपेक्षाएँ होती हैं ठीक उसी प्रकार लड़कियों की पसंद-नापसंद
का भी ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि आज समाज में लड़का तथा लड़की को समान दर्जा प्राप्त
है। विधि के समक्ष सभी समान है, सब के अधिकार समान हैं कोई किसी से उसकी आशा
एवं उच्च शिक्षा की अभिलाषा को नहीं छीन सकता है।इस प्रकार रामस्वरूप कि यह
अपेक्षा उचित नहीं है।
4. गोपाल प्रसाद विवाह को 'बिजनेस' मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की
उच्च शिक्षा छिपाते हैं क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं?
अपने विचार लिखिए।
उत्तर:-
मेरे विचार से
दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं।
गोपाल प्रसाद जी के लिए विवाह जैसा पवित्र बंधन बिज़नेस (व्यापार-धंधे) की तरह है। वे इस तरह के आचरण से इस सम्बन्ध की मधुरता, तथा सम्बन्धों की गरिमा को भी
कम कर रहे हैं। विवाह की पवित्रता और उसका मूल्य उनके लिए सौदे
से कम नहीं था। वह अपने बेटे का विवाह करवा कर एक ऐसी पुत्रवधू लाना चाहते थे जो
उनके इशारों पर चले। वे सौदा करने से पहले उसकी जाँच पड़ताल कर तसल्ली कर लेना
चाहते थे कि सौदा सही भी है या नहीं। उनके लिए वस्तु और लड़की में कोई अंतर नहीं
था।
दूसरी तरफ रामस्वरूप आधुनिक सोच वाले व्यक्ति होने के
बावजूद कायरता का परिचय दे रहे हैं। वे उमा के विवाह के लिए उसकी शिक्षा को छुपाने की कोशिश
करते हैं। मज़बूरी में आकर परिस्थिति से समझौता न करके वे चाहते तो अपनी बेटी के साथ मजबूती से खड़े होकर उसके लिए एक स्वाभिमानी वर की तलाश कर सकते थे। इसलिए मेरे विचार से दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं।
5. ".... आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं
...." उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर:- उपर्युक्त कथन के माध्यम
से उमा शंकर की निम्न कमियों की ओर ध्यान दिलाना चाहती है –
1. शंकर का चरित्र अच्छा नहीं है । लड़कियों
के हॉस्टल के चक्कर काटते हुए वह पकड़ा जा चुका है । शंकर लड़कियों के पीछे लग-लगकर अपनी रीढ़ की
हड्डी तुड़वा बैठा है। उसका सरेआम अपमान हो चुका है। अतः वह अपमानित,
लंपट और दुश्चरित्र है।
2. उसका अपना निजी कोई व्यक्तित्व नहीं है । भले
ही वह मेडिकल की पढाई कर रहा हो, परन्तु उसके विचारों में नवयुवकों जैसी मौलिकता
नहीं है| वह अपने पिता के पीछे चलने
वाला बेचारा जीव है, जैसा कहा जाता है वैसा ही करता है । शंकर अपने पिता पर पूरी तरह आश्रित है। उसकी रीढ़
की हड्डी नहीं है अर्थात् उसकी अपनी कोई मर्ज़ी नहीं है।
3. दूसरी तरफ़ उसकी पीठ की तरफ़ इशारा कर उमा संकेत करती है कि शंकर वह शारीरिक रूप से भी समर्थ नहीं है। वह शरीर
से कमजोर, झुककर तथा उससे सीधी तरह से बैठा
भी नहीं जाता ।
6. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की
- समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर
दीजिए।
उत्तर:-समाज में आज उमा जैसे व्यक्तित्व, स्पष्टवादिनी तथा उच्च चरित्र वाली लड़की की
ही आवश्यकता है । ऐसी लड़कियाँ ही गोपाल प्रसाद जैसे दोहरी मानसिकता रखने वाले,
लालची और ढोंगी लोगों को सबक सिखा सकती हैं। ऐसी लड़कियों से ही
समाज और देश प्रगति कर पाएगा जो आत्मविश्वास से भरी तथा निडर हो। इसके विपरीत शंकर
जैसे लड़के समाज के लिए निरुपयोगी है। शंकर जैसे व्यक्ति समाज को कोई दिशा नहीं
प्रदान कर सकते हैं।
7. 'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का शीर्षक सार्थक, सफल और व्यंग्यात्मक है।यह शीर्षक एकांकी की भावना को व्यक्त करने के लिए
बिल्कुल सही है। इस शीर्षक में समाज की सड़ी-गली मानसिकता को व्यक्त किया गया है
तथा उस पर प्रहार किया है। जिस
प्रकार मनुष्य के शरीर में रीढ़ की
हड्डी का महत्व है, वही
उसको सीधा रखने में मदद करती है। उसी
प्रकार समाज में लड़के और लड़कियों का महत्व है। यदि मानव शरीर में रीढ़ की हड्डी का कोई भाग स्वस्थ ना हो तो मानव शरीर का खड़े रह
पाना संभव नहीं है।उसी प्रकार यदि समाज की रीढ़ पुरुष और नारी में से यदि किसी एक
का शोषण हो,उसे दबाया जाए,समान अधिकार न दिया जाए तो समाज का भी कल्याण असंभव है।
साथ ही जिस प्रकार व्यायाम के माध्यम से रीढ़ की
हड्डी के लचीलेपन को बनाए रखते हैं। उसी तरह समय के अनुसार पुरानी रीतियों और
परंपराओं का बदलना आवश्यक है। यह समय की माँग होती है। जब यह रीतियाँ या परंपराएँ
मनुष्य के हित के स्थान पर उसका अहित करने लगे, तो वे विकार बन जाती हैं। यह
एंकाकी समाज में व्याप्त इन विकारों पर कटाक्ष करता है। हमारा समाज इन मानसिकताओं
का गुलाम बनकर बिना रीढ़ वाला शरीर हो जाता है। दूसरी तरफ़ यहाँ शंकर जैसे लड़कों
से भी यही तात्पर्य है बिना रीढ़ का। इस प्रकार के लड़कों का अपना कोई व्यक्तित्व
नहीं होता और न ही इनका कोई चरित्र होता है। ये सारी उम्र दूसरों के इशारों पर ही
चलते हैं। ये लोग समाज के ऊपर बोझ के सिवाए कुछ नहीं होते। इसलिए उमा ने इसे बिना रीढ़ की हड्डी वाला कहा है। अतः "रीढ़ की
हड्डी" पाठ का एक उपयुक्त शीर्षक है।
8. कथा वस्तु के आधार पर आप किसे
एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर:- कथा वस्तु के आधार में उमा मुख्य पात्र है क्योंकि पूरी एकांकी इसके
इर्द-गिर्द ही घूमती है। भले ही पाठ में उसकी उपस्थिति थोड़े समय के लिए ही है परन्तु उसके विचारों से प्रभावित हुए
बिना हम नहीं रह पाते हैं। एकांकी
के मुख्य पुरुष पात्र शंकर पर वह चारित्रिक, शारीरिक और तार्किक कौशल में भारी पड़ती है। वह हमें बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करती है।
उसकी उपस्थिति नारी-समाज को एक नई सोच और दिशा प्रदान करती है। उमा को इस एकांकी में महिलाओं की प्रतिनिधि के रूप में दिखाया
गया है। उसे एक ऐसी नायिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है।जो स्पष्टवादी है, एवं स्वाभिमानी है। समाज की मानसिकता पर व्यंग्य करने का जो प्रयास लेखक ने किया
है उसका माध्यम उमा ही है।
9. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल
प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:-
रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ:-
रामस्वरूप आधुनिक और प्रगतिशील विचारधाराओं से
संपन्न हैं परन्तु एक मजबूर पिता
हैं। वे एक तरफ़ तो स्त्री-शिक्षा के समर्थक है परन्तु बेटी के विवाह के समय यही
शिक्षा वे छिपाने का प्रयास करते हैं जिससे उनकी विवशता तथा कायरता झलकती है।
गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ:-
गोपाल प्रसाद एक रोबदार व्यक्तित्व के स्वामी
हैं। वकालत में होने के कारण अभिमान उनके व्यक्तित्व से टपकता है। गोपाल जी एक हँसमुख प्रवृति के इंसान
हैं। परन्तु वह समाज
की सड़ी-गली यथास्थितिवादी भावनाओं का प्रतिनिधि है। वह
पुरुष प्रधान समाज का वह अंग है जो चली आ रही रूढ़ियों को जैसे-तैसे सही सिद्ध
करता हुआ अपना दबदबा बनाए रखना चाहता है। रामगोपाल निहायती चालक, बड़बोले - लालची और
पढ़े-लिखे होने के बावजूद स्त्री-पुरुष की समानता में अविश्वास रखनेवाले व्यक्ति के
रूप में उभरते हैं।
10. इस एकांकी का क्या
उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर:- इस एकांकी में कई उद्देश्य सम्मिलित हैं:
(क) समाज
में औरतों की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना है।
(ख) समाज में नारी शिक्षा के विरोध वाले विचारों
को उजागर कर समाज को जागरूक करना।
(ग) समाज में दहेज प्रथा के विषय में जागरूकता
फैलाना एवं इसका विरोध करना।
(घ) समाज में स्त्री पुरुष की समानता वाले
विचारों को फैलाना।
(च) स्त्रियों को भी पुरुषों के समान अधिकार
देने की मांग।
(छ) यह एकांकी औरत को उसके व्यक्तित्व की रक्षा करने का संदेश देती है और कई
सीमा तक इस उद्देश्य में सफल भी होती है।
11. समाज में महिलाओं को उचित
गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर:- समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु हम निम्नलिखित
प्रयास कर सकते हैं-
1. उनकी शिक्षा के हेतु
कार्य कर सकते हैं ताकि समाज में वह सर उठा कर अपना जीवन व्यतीत कर सकें।
2.
अपने समय की महान एवं विदुषी स्त्रियों का उदाहरण समाज में
प्रस्तुत करना चाहिए।
3. महिलाओं
को उचित मान-सम्मान देना चाहिए।
4. महिलाओं को अपनी इच्छा अनुसार हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन देना
चाहिए।
5.
समाज में महिला को समान भागीदारी दिलवाने के लिए प्रयत्न कर
सकते हैं।
6. लड़कियों
का विवाह बिना दहेज लिए व दिए हो इस विषय पर कार्य कर सकते हैं।
7. लोगों में सुशिक्षित नारी के लाभों का
प्रचार कर सकते हैं।
8. सुशिक्षित बहू को स्वीकार करके उन्हें
सम्मान दे सकते हैं।
9. सुशिक्षित कन्याओं को नौकरी दिलाकर उन्हें
पुरुषों के समान महत्त्व दे सकते हैं।
10. कम पढ़ी लिखी बहू चाहने वालों को
समझा-बुझाकर रास्ते पर ला सकते हैं।
अन्य प्रश्न :-
reedh ki haddi class 9
रीड की हड्डी का मुख्य पात्र कौन है?
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