Adsense

राजू बन गया अपराधी

राजू बन गया अपराधी



राजू बन गया अपराधी




राजू ने जब अपनी आंखें खोली तो उसने अपने आपको एक कचरे के डिब्बे में पड़ा हुआ पाया। एक प्लास्टिक के बैग में लिपटा हुआ, सारी रात कचरे के डिब्बे में पड़े रहने के कारण उसका शरीर बदबू से सड़ रहा था। शुक्र है किसी जानवर ने उसे नही देखा था, नही तो शायद राजू का मृत शरीर ही होता डिब्बे में। पर ईश्वर की कृपा थी कि वो अभी तक जिंदा था।
      सुबह , उजाला होते ही कचरा बिनने वाले लोग सभी कचरा पात्रों से कचरा उठाते है। ईश्वर की कृपा से ही एक कचरा बिनने वाली औरत की नजर राजू पर पड़ी। उसने देखा कि एक नवजात शिशु एक प्लास्टिक के थैले में लिपटा हुआ पड़ा था, रात भर रोने के कारण अब उसके मुहँ से रोने की आवाज भी नही निकल पा रही थी, बस रोने के लिए केवल मुहँ ही खुलता था। ममता ने बच्चे को जब अपने हाथों में उठाया तो उसे अपने बेटे राजू का सा अहसास हुआ। ममता ने पिछले महीने ही एक बीमारी के कारण अपने एक वर्ष के बेटे राजू को खोया था। उस बच्चे को हाथ लगाते ही उसके मुहँ से नाम निकला "राजू"!
        ममता के अंदर फिर से मां की ममता जाग उठी और वह उस बच्चे को अपने साथ अपने घर ले आई। ममता की गोद में एक नवजात बच्चे को देखकर उसके पति मोहन ने ममता को बहुत डाँटा। मोहन को लगा कि ममता उस बच्चे को कही से चुराकर लाई है। पर ममता ने विश्वास दिलाया और पूरी बात बताई।
        बच्चे को पाकर मोहन भी अब खुश था। दोनों उसे अपने बेटे राजू की तरह ही पालने लगे। दोनों बहुत गरीब थे फिर भी राजू का बहुत ध्यान रखते थे । वे इस बार बच्चे को खोना नही चाहते थे। 
       धीरे-धीरे राजू बड़ा होने लगा । अभी राजू तीन साल का ही हुआ था कि अचानक एक एक्सीडेंट में राजू के पिता मोहन की मौत हो गई। मोहन की मौत के छह महीने के बाद ही ममता भी चल बसी। राजू फिर से अकेला हो गया।
      कुछ समय तक तो बस्ती वालों ने उसका ध्यान रखा । दया करके लोग खाने के लिए उसे कुछ न कुछ दे जाते थे लेकिन धीरे धीरे बस्ती वाले लोगो का ध्यान अब राजू पर से हटने लगा। राजू भूख से तड़पने लगा । फिर एक दिन वह बस्ती से निकलकर सड़क पर आ गया। वहां लोगों ने अपना बचा हुआ खाना फेंक रखा था। राजू ने उसमें से खाने के लिए निकाला और अपना पेट भरा। इसी तरह कचरे में से चीजे निकाल कर अपना पेट भरने लगा। 
राजू बन गया अपराधी




        ऐसे ही एक दिन उसे एक बच्चे उठाने वाले आदमी ने देख लिया। राजू को खाने का लालच देकर अपने साथ ले आया। आदमी बहुत बुरा इंसान था। वह बच्चे चुराता था और उनके हाथ पैर काटकर उनसे भीख मंगवाता था। उसने राजू को भी भीख मांगने के लिए भेजना शुरू कर दिया। भीख में मिले हुए पैसे छीनकर वह बच्चों को थोड़ा बहुत खाने को दे दिया करता था। ज्यादा मांगने पर बच्चो को खूब पीटता था। बच्चे बेचारे पिटाई के डर के मारे सब सहन करते थे। ऐसे ही दिन बीतते रहे और राजू अब दस वर्ष का हो चुका था। और इन सबसे अपना पीछा छुड़ाना चाहता था।
        एक रात , राजू को वहां से भागने का मौका मिल गया, और वह भागकर एक ट्रेन में चढ़कर दूसरे शहर में पहुंच गया। दूसरे शहर पहुंचने पर उसके सामने फिर से रहने और खाने की समस्या आ गयी। उसने दिनभर भीख मांगकर कुछ पैसे इक्कट्ठे किये और एक ढाबे पर जाकर पेट भर कर खाना खाया। अब उसके सामने समस्या थी रात में सोने की । वह रात भर एक दुकान के सामने पड़ा रहा। सुबह होने पर दुकान के मालिक ने उसे लातें मारकर वहां से भगा दिया। 
        अगले दिन उसने भीख मांगकर अपना पेट तो भर लिया लेकिन रात में सोने की समस्या अभी भी उसके सामने थी। रात में वह फ्लाइओवर के नीचे वाली जगह पर गया और वहां रात गुजारी। अब वह फ्लाईओवर के नीचे ही सोने लगा। दिनभर भीख मांगता और रात में फ्लाइओवर के नीचे आकर सो जाता। 


       परंतु ये सब ज्यादा दिन नही चला क्योंकि अब जाड़े के दिन आ गए थे। सर्दी भी इतनी तेज पड़ती थी कि गर्म कपड़ों में भी शरीर कांपता था। राजू दिन तो जैसे तैसे करके काट लेता था पर रात में फ्लाईओवर के नीचे पड़े पड़े जान निकल जाती थी, पर वह कर भी क्या सकता था?
        एक दिन भीख मांगते हुए उसने देखा कि एक आदमी को पुलिस पकड़ कर ले जा रही है। उसने एक आदमी से पूछा तो पता चला कि उस आदमी ने लड़ाई की थी, इसलिए उसे पुलिस पकड़ कर जेल में ले जा रही है। राजू ने फिर से पूछा कि " क्या जेल में खाना मिलता है?" आदमी ने जवाब में हाँ कहा। राजू ने आदमी से एक बार फिर से पूछा -"साहब ! क्या जेल में रहने की जगह भी मिलेगी?" आदमी ने बताया कि जेल के अंदर रहने की जगह है और पुलिसवालों को इन अपराधियों के  स्वास्थ्य का ध्यान भी रखना पड़ता है।
        सब सुनकर राजू ने मन ही मन कुछ सोचा और एक निर्णय लिया। थोड़ी देर बाद उसने एक व्यक्ति का पर्स चुरा लिया। व्यक्ति ने राजू को रंगे हाथों पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। राजू पुलिस के साथ जाते हुए बहुत खुश था। जेल में उसे खाना दिया गया। रातभर राजू जेल में रहा पर सुबह पुलिस वालों ने राजू को छोड़ दिया। राजू के सामने फिर वही समस्या आ गयी।


         अगले दिन राजू ने फिर से एक आदमी के साथ झगड़ा किया और जेल पहुंच गया। लेकिन अगले दिन उसे फिर से छोड़ दिया जाएगा यह सोचकर वह परेशान था। जेल में बंद साथी कैदी ने उसे परेशान देखकर राजू की परेशानी का कारण पूछा। तो राजू ने बताया कि मैं यहां हमेशा रहना चाहता हूँ? साथी कैदी राजू की बात पर बहुत हँसा और राजू से बोला :- " कोई मूर्ख ही होगा जो यहां हमेशा रहना चाहेगा"।
राजू ने कहा कि तुम भले ही मुझे मूर्ख समझो पर हो सके तो मुझे यहां स्थायी रूप से रहने का उपाय बता दो।


राजू बन गया अपराधी





          साथी कैदी ने पहले तो राजू को बहुत समझाया पर राजू के बार बार पूछने पर उसने राजू को उपाय बता दिया। अगले दिन जेल से छूटने पर राजू ने एक आदमी की हत्या कर दी। राजू को पुलिस ने पकड़ लिया, मुकदमा चला। जज ने राजू के अपराध के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई। अब राजू का जेल में रहने और खाने का स्थायी प्रबंध हो गया था।

धन्यवाद।



वसीयत : एक अंत





साथियों कहानी कैसी लगी? 
कमेंट करके जरूर बताइये।
कहानी में अगर कोई सुधार हो तो आवश्यक रूप से लिखें।








1 टिप्पणी:

Please do not enter any spam link in the comment box.