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तिरंगे में अशोक चक्र की तीलियों का महत्व

 🌹 अशोक चक्र  के लिए बाबासाहब ने बहुत Struggle किया है। .. " अशोक चक्र " का जब issue उठा तब पूरी Parliament में हंगामा शुरू था। .. पूरी Parliament दनदना गयी थी ।


         पहले राष्ट्रध्वज का कलर बनाने के लिए बाबासाहब ने " पेंगाली वेंकैय्या " को चुना था। ...पेंगाली वेंकैय्या को कलर के बारे में जनाकारी थी। ... उनका संवैधानिक चयन बाबासाहब ने किया था। ,.. पेंगाली वेंकैय्या ने ध्वज का कलर तो बनाया लेकिन वो कलर ऊपर निचे थे ... मतलब सफ़ेद रंग सबके ऊपर , फिर केशरिया और फिर हरा। ... 


     बाबासाहब ने सोचा , अगर अशोक चक्र हम रखे तो वो नीले रंग में होना चाहिए , और झंडे के बीच में होना चाहिए  ... केशरिया रंग पे " अशोक चक्र " इतना खुल के नहीं दिखेगा। ... बाबासाहब ने सोचा , अगर सफ़ेद रंग को बीच में रखा जाए ,जो की शांति का प्रतीक है , उसपर अशोक चक्र खुल के भी दिखेगा। .. और शांति के प्रतीक सफ़ेद रंग पे शांति के सन्देश का अशोक चक्र  पर उसका मतलब बहुत गहरा होगा। ...  इसलिए बाबासाहब ने वो कलर ठीक से सेट किये। .. और सफ़ेद रंग बीच में रखा ताकि उसके ऊपर " अशोक चक्र  रखा जाए। ,... 


        दूसरी तरह से वो रंग  कांग्रेस पार्टी के झंडे के कलर हो जाते है। ... बाबासाहब ने जब अशोक चक्र का issue पार्लियामेंट में उठाया तब सबने विरोध किया था। .. गाँधी, नेहरू का कहना था के झंडे पर गाँधी का चरखा रखा जाए जो की कांग्रेस पार्टी का सिम्बोल था। .... बाबासाहब अकेले दीवार की तरह खड़े थे। ... बाबासाहब बोले थे , जब  तक अशोक चक्र झंडे पर नहीं रखा जाएगा तब तक उस झंडे को " संवैधानिक राष्ट्रध्वज"  मैं संविधान में नहीं लिखूंगा.... 


       बाबासाहब  जिद पे अड़े थे .... बाबासाहब ने बहुत भयंकर - भयंकर Explanation दिए। ... किसी को विरोध करने के लिए मुँह नहीं बचा ... आखिर बाबासाहब की वजह से Parliament में   " अशोक चक्र " का  issue बहुमतों से पारित हुआ.. और " अशोक चक्र " को स्वीकार किया गया .... 


          भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा', इसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफ़ेद व सबसे नीचे हरा रंग है। सभी रंग बराबर अनुपात में हैं। सफ़ेद रंग की पट्टी पर झंडे के मध्य में नीले रंग का चक्र है


         केसरिया रंग देश की ताकत एवं साहस का परिचायक है। बीच में सफ़ेद रंग की पट्टी शांति एवं सत्यता को दर्शाती है। हरे रंग की पट्टी धरती की उर्वरता, विकास एवं पवित्रता की परिचायक है। चक्र इस बात को दर्शित करता है कि जीवन गतिमान है जबकि मृत्यु निश्चलता का नाम है। झंडे की लंबाई व चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। चक्र का व्यास सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर होता है।


       भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को भारत की संविधानकारी सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को अंगीकृत किया गया था ।


अशोक चक्र को कर्तव्य का पहिया भी कहा जाता है । अशोक चक्र की 24 तीलियाँ मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं , जो किसी भी देश को उन्नति के पथ पर पहुंचा सकते हैं। इसी कारण हमारे राष्ट्र ध्वज के निर्माताओं ने जब इसका अंतिम रूप फाइनल किया तो उन्होंने झंडे के बीच से चरखे को हटाकर अशोक चक्र को रखा ।


        अशोक चक्र में दी गयी सभी 24 तीलियों का मतलब चक्र के क्रमानुसार जानते हैं-


👉1 - पहली तीली :- संयम (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)

👉2 - दूसरी तीली :- आरोग्य (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)

👉3  - तीसरी तीली :- शांति (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)

👉4 - चौथी तीली :- त्याग (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास)

👉5 - पांचवीं तीली :- शील (व्यक्तिगत में शीलता की शिक्षा)

👉6 -  छठवीं तीली :- सेवा (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)

👉7 -  सातवीं तीली :- क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)

👉8 - आठवीं तीली :- प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)

👉9 - नौवीं तीली :- मैत्री (समाज में मैत्री की भावना)

👉10 - दसवीं तीली :- बन्धुत्व (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)

👉11- ग्यारहवीं तीली :-  संगठन (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)

👉12 - बारहवीं तीली :- कल्याण (देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना)

👉13 - तेरहवीं तीली :- समृद्धि (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना)

👉14 - चौदहवीं तीली :- उद्योग (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)

👉15 - पंद्रहवीं तीली :- सुरक्षा (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)

👉16 - सोलहवीं तीली :- नियम (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)

👉17 - सत्रहवीं तीली :- समता (समता मूलक समाज की स्थापना करना)

👉18 - अठारहवी तीली :- अर्थ (धन का सदुपयोग करना)

👉19 - उन्नीसवीं तीली :- नीति (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)

👉20 - बीसवीं तीली :- न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना)

👉21 - इक्कीसवीं तीली :-  सहयोग (आपस में मिलजुल कार्य करना)

👉22 - बाईसवीं तीली :- कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना) 

👉23 - तेईसवी तीली :- अधिकार (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)

👉24 -  चौबीसवीं तीली :- बुद्धिमत्ता (देश की समृधि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना)


       सभी तीलियाँ सम्मिलित रूप से देश और समाज के चहुमुखी विकास की बात करती हैं। ये तीलियाँ सभी देशवासियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में स्पष्ट सन्देश देने के साथ - साथ यह भी बतातीं हैं कि हमें रंग, रूप, जाति और धर्म के अंतरों को भुलाकर पूरे देश को एकता के धागे में पिरोकर समृद्धि के शिखर तक ले जाने के लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए ।



जय भारत !


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