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कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण Kaise Kare Kahani Ka Natya Rupantaran

 

Kaise Kare Kahani Ka Natya Rupantaran Question Answers (Important) | Class 11 Hindi| Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam Book


kahani ka natya rupantaran


कहानी का नाट्य रूपांतरण

कहानी का नाटक में रूपांतरण करने के लिए सबसे पहले कहानी और नाटक में वैविध्य तथा समानताओं को समझना आवश्यक है। इसके लिए हमें नाटक की विशेषताओं को समझना होगा।

·     जहाँ कहानी का संबंध लेखक और पाठक से जुड़ता है वहीं नाटक लेखक, निर्देशक, पात्र, दर्शक, श्रोता एवं अन्य लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है।

·    चूँकि दृश्य का स्मृतियों से गहरा संबंध होता है इसलिए नाटक एवं फ़िल्म को लोग देर तक याद रखते हैं। यही कारण है कि गोदान, देवदास, उसने कहा था, सद्गति आदि के नाट्य रूपांतरण कई बार हुए हैं और कई तरह से हुए हैं।

·     कहानी कही जाती है या पढ़ी जाती है। नाटक मंच पर प्रस्तुत किया जाता है।

·    नाटक को मंच पर अभिनेता अभिनय द्वारा प्रस्तुत करते हैं। मंच सज्जा होती है, संगीत होता है, प्रकाश व्यवस्था होती है।

·   समानता यह होती है कि कहानी और नाटक दोनों में एक कहानी होती है, पात्र होते हैं, परिवेश होता है, कहानी का क्रमिक विकास होता है, संवाद होते हैं, द्वंद्व होता है, चरम उत्कर्ष होता है।

इस तरह हम देखते हैं कि नाटक और कहानी की आत्मा के कुछ मूल तत्त्व एक ही हैं। यह अवश्य है कि कुछ मूल तत्त्व जैसे द्वंद्व नाटक में जितना और जिस मात्रा में आवश्यक है उतना संभवतः कहानी में नहीं है।

कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण

कहानी का नाट्य रूपांतरण का मतलब है किसी कहानी को नाटक के रूप में मंच पर प्रस्तुत करने के लिए तैयार करना, जिसमें कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के अनुसार दृश्यों में बाँटना, पात्रों के संवादों और मनोभावों को अभिनय के अनुरूप ढालना, और मंच सज्जा, प्रकाश व ध्वनि की व्यवस्था करना शामिल है। यह प्रक्रिया कहानी को वाचिक से अभिनय-आधारित रूप में बदलकर दर्शकों के लिए अधिक प्रभावशाली और आनंददायक बनाती है।

 

 

प्रक्रिया

  • कथावस्तु का विभाजन: सबसे पहले, कहानी की विस्तृत कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित किया जाता है, जो दृश्यों का आधार बनता है।
  • दृश्य निर्माण: प्रत्येक घटना जो किसी निश्चित स्थान और समय पर घटित होती है, एक दृश्य बन जाती है। यह देखना आवश्यक है कि प्रत्येक दृश्य का कथानक के अनुसार औचित्य हो। दृश्य निर्धारित करने के बाद दृश्यों और मूल कहानी को पढ़ने से यह अनुमान लग सकता है कि मूल कहानी में ऐसा क्या है जो दृश्यों में नहीं आया है।

कहानी की कथावस्तु (कथानक) को सामने रखकर एक-एक घटना को चुन-चुनकर निकाला जाता है और उसके आधार पर दृश्य बनता है। तात्पर्य यह कि यदि एक घटना एक स्थान और एक समय में घट रही है तो वह एक दृश्य होगा। ईदगाह कहानी के संदर्भ में देखें तो इसके आरंभ में लेखक ने मेले को लेकर बच्चों के उतावलेपन और कुतूहल का लंबा मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है इसके लिए पहले दृश्य में गाँव के उस हिस्से को फ़ोकस कर सकते हैं, जहाँ बच्चे भाग-दौड़ कर रहे हैं, तैयार हो रहे हैं, बार-बार अपने पैसे गिन रहे हैं और टोली के निकलने की राह देख रहे हैं। पहले दृश्य का अंतिम हिस्सा हामिद और उसकी दादी अमीना पर केंद्रित हो सकता है और उनके संवाद दिए जा सकते हैं।

  • पात्रों का अभिनय: पात्रों के संवादों और मनोभावों को अभिनय के अनुरूप बदला जाता है, ताकि वे मंच पर प्रभावी लगें। रूपांतरण करते समय कहानी के पात्रों की दृश्यात्मकता और नाटक के पात्रों में उसका प्रयोग किया जाना चाहिए।

उदाहरण के लिए प्रेमचंद ने ईदगाह में मेले में जाते हामिद के कपड़ों का जिक्र नहीं किया है और न ही अन्य लड़कों के बारे में कुछ लिखा है परंतु कहानी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि हामिद नंगे पैर होगा, उसके कुर्ते में पैबंद लगे होंगे जबकि अन्य लड़कों के कपड़े उनकी अच्छी आर्थिक स्थिति के सूचक होंगे।

 

  • संवाद रूपांतरण: कहानी के संवादों को सरल, संक्षिप्त और नाटकीय बनाया जाता है, जो लंबे और ऊबाऊ न हों। स्थानीय रंग में संवादों को रंग कर चरित्र चित्रण को परिमार्जित किया जा सकता है।
  • मंच और अन्य व्यवस्थाएँ: कथावस्तु के अनुसार वातावरण तैयार किया जाता है, जिसमें मंच सज्जा, प्रकाश और ध्वनि का ध्यान रखा जाता है।

ध्वनि और प्रकाश भी चरित्र चित्रण करने तथा संवेदनात्मक प्रभाव उत्पन्न करने में कारगर सिद्ध हो सकते हैं।

  • समस्या-समाधान: कहानी के भीतर के द्वंद्वों और मानसिक विचारों को व्यक्त करने के लिए 'स्वगत कथन' या 'वॉयस ओवर' जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। 

कहानी का नाट्य रूपांतरण करते से पहले यह जानकारी होना आवश्यक है कि वर्तमान रंगमंच में क्या संभावनाएँ हैं। यह तभी संभव है जब अच्छे नाटक देखे जाएँ जाएँ। इसलिए रूपांतरण का पहला पाठ यही हो सकता है कि अच्छी नाट्य अच्छी नाट्य प्रस्तुतियाँ देखी जाएँ।

कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ जिनका सफलतापूर्वक नाट्य रूपांतरण हुआ है-

चीफ़ की दावत                  -           भीष्म साहनी

टोबा टेक सिंह                   -           मंटो

डिप्टी कलेक्टरी                 -           अमरकांत

दुविधा                             -           विजयदान देथा

कफ़न                               -           प्रेमचंद

बड़े भाई साहब                 -           प्रेमचंद

मोटेराम शास्त्री                 -           प्रेमचंद

ईदगाह                            -           प्रेमचंद

रुपया तुम्हें खा गया          -           भगवती चरण वर्मा

वारेन हेस्टिंग्स का साँढ़      -           उदय प्रकाश

और अंत में प्रार्थना            -           उदय प्रकाश

मोहनदास                        -           उदय प्रकाश

धूप का टुकड़ा, डेढ़ इंच ऊपर,

वीक एंड (तीन एकांत नाम से प्रकाशित)     -        निर्मल वर्मा


कैसे करें कहानी का नाट्य  रूपांतरण पाठ पर आधारित प्रश्नोत्तर (Question and Answers)   


प्रश्न 1 – कहानी और नाटक में क्या-क्या समानताएँ होती हैं?
उत्तर कहानी और नाटक में निम्नलिखित समानताएँ हैं –

  • कहानी का मूलाधार कथानक होता है, नाटक भी कथानक पर ही आधारित होता है।
  • कहानी में घटनाएँ क्रमबद्ध रहती हैं, नाटक में भी घटनाओं का वर्णन क्रमबद्ध रूप में होता है।
  • कहानी में पात्रों की मुख्य भूमिका होती है, नाटक की रचना में भी पात्रों का मुख्य स्थान होता है।
  • कहानी में एक परिवेश रहता है, नाटक में भी परिवेश होता है।
  • कहानी में पात्रों के मध्य द्वंद्व होता है, नाटक के पात्रों के मध्य भी द्वंद्व दिखाया जाता है।
  • कहानी उद्देश्य विशेष को लेकर चलती है, नाटक भी उद्देश्य विशेष को लेकर ही लिखा जाता है।
  • कहानी का चर्मोत्कर्ष होता हैनाटक का भी चर्मोत्कर्ष होता है।

 

कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण पाठ पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)


प्रश्न 1 – कहानी का नाटक में रूपांतरण करने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर- कहानी का नाटक में रूपांतरण करने के लिए सबसे पहले कहानी और नाटक में  विविधता या अनेकता तथा समानताओं को समझना आवश्यक है। इसके लिए हमें नाटक की विशेषताओं को समझना होगा। जहाँ कहानी का संबंध लेखक और पाठक से जुड़ता है वहीं नाटक लेखक, निर्देशक, पात्र, दर्शक, श्रोता एवं अन्य लोगों को एक–दूसरे से जोड़ता है। चूँकि दृश्य का स्मृतियों से गहरा संबंध होता है इसलिए नाटक एवं फ़िल्म को लोग देर तक याद रखते हैं। यही कारण है कि गोदान, देवदास, उसने कहा था, सद्गति आदि के नाट्य रूपांतरण कई बार हुए हैं और कई तरह से हुए हैं।

प्रश्न 2 – कहानी और नाटक में अंतर् स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – कहानी कही जाती है या पढ़ी जाती है। नाटक मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। नाटक को मंच पर अभिनेता अभिनय द्वारा प्रस्तुत करते हैं। मंच सज्जा होती है, संगीत होता है, प्रकाश व्यवस्था होती है।

प्रश्न 3 – कहानी और नाटक में समानता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – समानता यह होती है कि कहानी और नाटक दोनों में एक कहानी होती है, पात्र होते हैं, परिवेश होता है, कहानी का क्रमिक विकास होता है, संवाद होते हैं, द्वंद्व होता है, चरम उत्कर्ष होता है।

 

प्रश्न 4 – दृश्यों को लिखते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर – दृश्यों को लिखते हुए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

उत्तर – दृश्यों को लिखते हुए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

·        स्थान और समय के आधार पर कहानी का विभाजन करके दृश्यों को लिखा जा सकता है।

·        प्रत्येक दृश्य का कथानक के अनुसार औचित्य हो।

·        ऐसे दृश्य नहीं हो सकते जो अनावश्यक हों। ये नाटक की गति को बाधित करेंगे और नाटक उबाऊ हो जाएगा।

·        प्रत्येक दृश्य का कथानुसार तार्किक विकास हो रहा है या नहीं। यह सुनिश्चित करने के लिए दृश्य विशेष के उद्देश्य और उसकी संरचना पर विचार आवश्यक है। प्रत्येक दृश्य एक बिंदु से प्रारंभ होता है। कथानुसार अपनी आवश्यकताएँ पूरी करता है और उसका ऐसा अंत होता है जो उसे अगले दृश्य से जोड़ता है।

·        दृश्य का पूरा विवरण तैयार किया जाना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि दृश्य में कोई आवश्यक जानकारी छूट जाए या उसका क्रम बिगड़ जाए।

·        नाटक ही में नहीं बल्कि नाटक के प्रत्येक दृश्य में प्रारंभ, मध्य और अंत होता है।

·        दृश्य कई काम एक साथ करता है। एक ओर वह कथानक को आगे बढ़ाता है तो दूसरी ओर पात्रों और परिवेश को संवादों के माध्यम से स्थापित करता है।

·        दृश्य अगले दृश्य के लिए भूमिका भी तैयार करता है।

·        ऐसा हो सकता है कि कुछ ऐसे दृश्य बनते हों जिनमें लेखक ने केवल विवरण दिया हो और उसमें कोई संवाद न हो। ऐसे दृश्यों का भी पूरा खाका तैयार कर लेना चाहिए। यह अवश्य देखना चाहिए कि जानकारियाँ, सूचनाएँ और घटनाएँ दोहराई न गई हों।

·        दृश्य निर्धारित करने के बाद दृश्यों और मूल कहानी को पढ़ने से यह अनुमान लग सकता है कि मूल कहानी में ऐसा क्या है जो दृश्यों में नहीं आया है।

·         लेखक द्वारा परिवेश का विवरण या परिस्थितियों पर टिप्पणियाँ प्रायः दृश्यों में नहीं ढल पातीं। यह देखना आवश्यक है कि परिस्थिति, परिवेश, पात्र, कथानक से संबंधित विवरणात्मक टिप्पणियाँ किस प्रकार की हैं।

प्रश्न 5 – विवरणों को नाटक में किस प्रकार स्थान दिया जाता है?

उत्तर – विवरणों को नाटक में स्थान
विभिन्न प्रकार के विवरणों को नाटक में स्थान देने के अलगलग तरीके हैं। उदाहरण के लिए विवरणात्मक टिप्पणी यदि परिवेश के बारे में है तो उसे मंच सज्जा के अंतर्गत लिया जा सकता है या पार्श्व संगीत के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। विवरण यदि पात्रों के बारे में है तो उन्हें संवादों के माध्यम से निर्धारित दृश्यों में उचित स्थान पर दिया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि कहानी में व्यक्त महत्त्वपूर्ण सूत्र नाटक के स्वरूप के अनुसार अपनी जगह निर्धारित कर लेते हैं।

प्रश्न 6 – संवाद लेखन की कौन सी शर्तें हैं?
उत्तर – संवाद लेखन की शर्तें –

दृश्य निर्धारित हो जाने पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि दृश्य की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने वाले तथा दृश्य के क्रमिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संवाद हैं या नहीं। यदि पर्याप्त संवाद नहीं हैं तो उन्हें लिखने का काम किया जाता है।

·        सबसे पहली और महत्त्वपूर्ण शर्त यह है कि नए लिखे संवाद, कहानी के मूल संवादों के साथ मेल खाते हों।

·        दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि उनके लिखे जाने का सौ प्रतिशत औचित्य हो।

·         तीसरी बात जो ध्यान में रहे वह यह है कि संवाद छोटे, प्रभावशाली और बोलचाल की भाषा में हों। कहानी में छपे लंबे संवाद को पाठक पढ़ सकता है लेकिन मंच पर बोले गए लंबे संवाद से तारतम्य बनाए रख पाना कठिन होता है।

प्रश्न 7 – संवाद को नाटक में प्रभावशाली किस प्रकार बनाया जा सकता है?
उत्तर – संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाने का तरीका

        संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाने का एक तरीका अभिनय है जो प्रायः निर्देशक का काम है, पर लेखक भी इस ओर संकेत कर सकता है।

        पात्र की भावभंगिमाओं और उसके तौरतरीकों से प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है।

        कहानी के लंबे संवादों को छोटा करके उन्हें अधिक नाटकीय बनाया जा सकता है।

        स्थानीय रंग में संवादों को रंग कर चरित्र–चित्रण को परिमार्जित किया जा सकता है। 

प्रश्न 8. रूपांतरण में पात्रों के मनोभावों या मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में आने वाली समस्या का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है?

उत्तर – पात्रों के मनोभावों या मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में समस्या व           निर्धारण –

रूपांतरण में एक समस्या पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा विवरण के रूप में व्यक्त प्रसंगों या मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में आ सकती है। उदाहरण के लिए ईदगाह का वह हिस्सा जहाँ हामिद इस द्वंद्व में है कि क्या–क्या खरीदे या जहाँ वह यह सोचता है कि अम्मा का हाथ जल जाता है, उसका रूपांतरण कठिन है। रूपांतरण में इस तरह के विवरण प्रस्तुत करने के लिए स्वगत कथन का प्रयोग किया जाता है जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर अपने आपसे यह संवाद बोलता है। लेकिन आजकल ‘वायस ओवर’अर्थात ऐसी ध्वनि जो दर्शकों को सुनाई देती है पर पात्र नहीं बोलता के माध्यम से संभव है। अम्मा वाले अंश के लिए फ़ैलेशबैक शैली का उपयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार हामिद की ललचाई आँखों, होठों पर जीभ फेरते और बाद में भारी कदमों से दुकान से दूर जाने का दृश्य बनाया जा सकता है। कहानी का नाट्य रूपांतरण करने से पहले यह जानकारी होना आवश्यक है कि वर्तमान रंगमंच में क्या संभावनाएँ हैं। यह तभी संभव है जब अच्छे नाटक देखे जाएँ। इसलिए रूपांतरण का पहला पाठ यही हो सकता है कि अच्छी नाट्य प्रस्तुतियाँ देखी जाएँ।

 

 

 

कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण पाठ पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

 प्रश्न 1.  कहानी का नाटक में रूपांतरण करने के  लिए सबसे पहले क्या समझना आवश्यक है?
(कहानी और नाटक में विविधता को
(
कहानी और नाटक में समानताओं को
(
कहानी और नाटक में अनेकता को
(
उपरोक्त सभी
उत्तर – (उपरोक्त सभी 

प्रश्न 2 – कहानी और नाटक दोनों में क्या समानता होती है?
(कि कहानी और नाटक दोनों में एक कहानी होती हैपात्र होते हैंपरिवेश होता है
(
कि कहानी और नाटक दोनों में क्रमिक विकास होता है
(
कि कहानी और नाटक दोनों में संवाद होते हैंद्वंद्व होता हैचरम उत्कर्ष होता है
(
उपरोक्त सभी
उत्तर – (उपरोक्त सभी 

प्रश्न 3 – नाटक एवं फ़िल्म को लोग देर तक क्यों याद रखते हैं?
(दृश्य का नाटक से गहरा संबंध होता है
(
दृश्य का स्मृतियों से गहरा संबंध होता है
(
दृश्य का आँखों से गहरा संबंध होता है
(
दृश्य का कहानी से गहरा संबंध होता है
उत्तर – (दृश्य का स्मृतियों से गहरा संबंध होता है 

प्रश्न 4. कहानी को नाटक में रूपांतरित करने के लिए सबसे पहले कहानी की विस्तृत कथावस्तु को किसके के आधार पर विभाजित किया जाता है?

(समय और कहानी के
(
पात्र और स्थान के
(
समय और स्थान के
(
समय और पात्र के
उत्तर – (समय और स्थान के 

प्रश्न 5. कथावस्तु किन घटनाओं का लेखाजोखा है?
(जो जीवन में घटती है
(
जो दृश्यों में घटती है
(
जो समय के साथ घटती है
(
जो कहानी में घटती है
उत्तर – (जो कहानी में घटती है 

प्रश्न 6. किसके आधार पर कहानी का विभाजन करके दृश्यों को लिखा जा सकता है?
(स्थान और समय
(
स्थान और पात्र
(
पात्र और समय
(
कथावस्तु और समय
उत्तर – (स्थान और समय 

प्रश्न 7. विवरणात्मक टिप्पणी यदि परिवेश के बारे में है तो उसे किसके अंतर्गत लिया जा सकता है?
(नाटक सज्जा के
(
संगीत सज्जा के
(
मंच सज्जा के
(
दृश्य सज्जा के
उत्तर – (मंच सज्जा के 

प्रश्न 8. कहानी में व्यक्त महत्वूर्ण सूत्र किसके अनुसार अपनी जगह निर्धारित कर लेते है?
(नाटक के स्वरूप के
(
नाटक के दृश्य के
(
नाटक के कथानक के
(
नाटक के संवाद के
उत्तर – (नाटक के स्वरूप के 

प्रश्न 9  संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाने का एक तरीका अभिनय है जो प्रायः किसका काम है?
(नाटककार का
(
प्रबंधक का
(
निर्देशक का
(
लेखक का
उत्तर – (निर्देशक का 

प्रश्न 10. स्वगत कथन किसे कहा जाता है?
(जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर दर्शकों से संवाद बोलता है
(
जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर अपने आपसे संवाद बोलता है
(
जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर धीरे से संवाद बोलता है
(
जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर जोरजोर से संवाद बोलता है
उत्तर – (जिसमें लेखक मंच के कोने में जाकर अपने आपसे संवाद बोलता है

 

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